
9वे दौर की बातचीत में भी निकल पाया किसान आन्दोलन का हल, किसानों ने कहा "या तो जीतेंगे या यही मरेंगे
44 दिन से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान बिल के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों की समस्या का भी तक सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब नही आया है अब अगली बैठक 15 जनवरी को होने का विचार है कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बताया कि अभी भी 50% मुद्दों पर स्पष्ट रूप से सहमति नही बनी है इसलिए अभी और समय मांगा गया है। आपको बता दे कि 8वें दौर की बातचीत में भी कृषि मंत्री ने और समय मांगा था और कहा था कि अगली बैठक में सभी समस्यओं का निस्तारण कर दिया जाएगा परन्तु अभी तक इस आंदोलन का कोई हल नही निकल पाया है । भारतीय किसान यूनियन के नेता वलबीर सिंह ने कहा कि सरकार स्पष्ट रूप से अपना जबाब बता दे हम चले जायेंगे क्योंकि सरकार अपनी जिद पर अड़ी है और आम लोगो की बातें कम सुनी जाती हैं । आल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला ने बताया कि सरकार से बैठक में बातचीत में उन्होंने से साफ कह दिया है कि वे किसी भी कोर्ट में नही जाएंगे किसान बिल को बापस लेने के अलावा सरकार के पास और कोई विकल्प नही है । आंदोलन में बातचीत के समय कुछ आंदोलनकारी हाथों में गुरुमुखी भाषा मे लिखे पोस्टर भी पकड़े खड़े थे जिनपर लिखा था "जीतेंगे या मरेंगे"। डेरा नानकसर के बाबा लक्खा सिंह भी इस किसान आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं शुक्रवार की बातचीत में वे ही कृषि मंत्री से बातचीत करने गए थे जहां लगभग दो घण्टे तक उनकी बातचीत कृषि मंत्री से हुई उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही एक ऐसा प्रस्ताव ला रही है जिसमे दिया होगा कि राज्य सरकार को ये कानून लागू करने या न करने की छूट दी जाएगी।वहीं कृषि मंत्री ने कहा है कि ऐसा कोई भी प्रस्ताव का अभी विचार नही है लेकिन बाबा लक्खा सिंह ने किसान आंदोलन के बारे में सरकार को थोड़ा सोंचने को कहा तो उनकी बात को सरकार के सामने रखा जाएगा ।
आपको बता दे कि सरकार और किसानों के मध्य अभी तक 9 बैठके हो चुकी है लेकिन अभी तक किसान आंदोलन को कोई हल नही निकल पाया है अब अगले दौर की बैठक 15 जनवरी को होना निश्चित हुई है।
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